विश्व समाजवाद की असल नाकामी कदाचित आर्थिक नहीं वरन् राजनीतिक रही।
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लोकतंत्र और समाजवाद की प्रचलित प्रणालियों में अन्तर यह है कि वर्तमान लोकतांत्रिक प्रणाली समाज को आठ आधारों पर बांटकर वर्ग विद्वेष वर्ग संघर्ष फैलाती है तो समाजवाद की वर्तमान प्रणाली समाज में सिर्फ गरीब अमीर के बीच ही तीव्र वर्ग विद्वेष फैलाती हैं कभी कभी समाजवादी जाति, भाषा या धर्म के मामलों में भी टांग फंसा देते हैं किन्तु विश्व समाजवाद में इनकी कोई भूमिका नहीं।